बेखयाली में भी तेरा ही खयाल आये।।।
" क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी ????" ये सवाल आए ।।।
तेरी नज़दीकियों की ख़ुशी बेहिसाब थी
हिस्से में फ़ासले भी तेरे बेमिसाल आए
मैं जो तुमसे दूर हूँ , क्यूँ दूर मैं रहूँ. ? ????
तेरा गुरुर हूँ
आ तू फ़ासला मिटा , तू ख्वाब सा मिला
क्यूँ ख्वाब तोड़ दूँ ?
बेखयाली में भी तेरा ही खयाल आए
" क्यूँ जुदाई दे गया तू. ?????" ये सवाल आए
थोड़ा सा मैं खफ़ा हो गया अपने आप से
थोड़ा सा तुझपे भी बेवजह ही मलाल आए
है ये तड़पन , है ये उलझन
कैसे जी लूँ बिना तेरे. ?????
मेरी अब सब से है अनबन
बनते क्यूँ ये खुदा मेरे. ?????
ये जो लोग - बाग हैं , जंगल की आग हैं
क्यूँ आग में जलूँ ?
ये नाकाम प्यार में , खुश हैं ये हार में
इन जैसा क्यूँ बनूँ. ?????
रातें देंगी बता , नीदों में तेरी ही बात है
भूलूँ कैसे तुझे ? तू तो ख्यालों में साथ है
बेखयाली में भी तेरा ही खयाल आए
" क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी. ?????" ये सवाल आए …
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